विजय दशमी शक्ति का पर्व है। अधर्म पर धर्म की विजय राक्षसत्व पर आर्यत्व की विजय और असुरों पर सुरों की विजय का प्रतीक है। इसलिये यह दिन विजय तथा उल्लास के पर्व के रूप में मनाया जाता है।
यदि इतिहास पर दृष्टि डालें तो इस दिन अनेक महत्वपूर्ण एवं समाज को नयी दिशा देने वाले कार्य हुए। देवराज इंद्र ने महर्षि दधीचि की हड्डियों का वज्र बनाकर वृत्तासुर का वध इस दिन किया था त्रेता युग में भगवान राम ने रावण का वध करके भरतखण्ड को राक्षसत्व से मुक्त किया था ''राम की जय हो'' का जयघोष गूँजा देशवाशी ''जय राम जी की'' बोलकर एक दूसरे का अभिवादन करते है।
द्वापर में पांडवों ने अपने प्रथम अज्ञातवास को समाप्त करके पाञ्चाल नरेश द्रुपद के द्वारा आयोजित स्वयंवर सभा में द्रोपदी का वरण किया अधर्म पर धर्म की जय के प्रतिक स्वरूप महाभारत के महान युद्ध का प्रारम्भ आज के दिन हुआ। प्राचीन काल में आज के दिन शस्त्रों की पूजा की जाती थी इसी कारण प्राकृतिक भी रहा होगा। क्योंकि वर्षा ऋतु में नदी नाले भर जाते थे और सभी प्रकार की यात्रायें बंद हो जाती थी।
वर्षा के पश्चात क्षत्रिय लोग अपने शस्त्रों को निकालकर उनकी सफाई तथा पूजा किया करते थे। शस्त्र शक्ति के वाहक है। राजस्थान में आज भी शास्त्रीय पद्धति से शस्त्रों की पूजा की जाती है। आज ही दिन परम पूज्य डॉ. साहब ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की जो 1925 से अनवरत राष्ट्र के कल्याण हित कार्य कर रहा है जिसका एकमात्र लक्ष्य है भारत को अखंडता के शिखर पर विराजमान कर देश को पुनः परम वैभव पर ले जाना। संघ के स्वयंसेवक आज के दिन शस्त्र पूजन के रूप में कार्यक्रम संपन्न करते है। भारत के सभी प्रांतों में यह त्यौहार मनाया जाता है।
बंगाल में दुर्गा पूजा का पर्व सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। नक्शलवादी जो नास्तिक है और अपने को वाम मार्गी विचारधारा से जुड़ा मानते है वे भी दुर्गा पूजा करते है और माँ दुर्गा का आशीष प्राप्त करना चाहते है। बंगाली समाज न केवल बंगाल में अपितु देश में जहा कही भी रहता है, वह दशमी के दिन देवी दुर्गा की प्रतिमा को सजा संवार कर बहुत धूम धाम से जलूस की तरह निकलता है। गाते बजाते हुए जाता है और निकट के जलाशय अथवा नदी में मूर्ति को प्रवाहित करते है। उनका विश्वास है कि आसुरी शक्तियों का विनाश करके देवी आज के दिन शिव के धाम कैलाश पर्वत पर चली जाती है।
पर्वतीय प्रदेशों में यह त्यौहार उल्लास के साथ मनाया जाता है। कुल्लू माँ दशहरा प्रसिद्ध है, मैसूर का दशहरा प्रसिद्ध है, मैसूर का दशहरा अपने कलात्मक सौंदर्य अथवा भव्यता की दृष्टि से चर्चित है। यहाँ हाथी घोड़ों तथा ऊंटों की सुन्दर सवारी निकलती है। विदेशों में राम लीलायें होती है। मॉरीशस में दशहरे के दिन रावण, कुम्भकर्ण, मेघनाद इत्यादि के पुतलों का दहन किया जाता है।
उत्तर भारत में राम की रावण पर विजय के रूप में यह पर्व मनाया जाता है, 9 दिनों तक राम लीलाएं होती है। 11वें दिन राम राम लीला की भव्य झांकी निकली जाती है। किसी बड़े मैदान में भगवान राम और रावण के युद्ध का प्रदर्शन होता है।
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